चार आदमी काफी हैं
चार आदमी बंता की सास को पीट रहे थे। बंता चुपचाप सामने खड़ा देख रहा था। उसे इस तरह खड़ा देखकर संता से नहीं रहा गया।
वह बंता से बोला - क्या तुम मदद के लिए नहीं जाओगे?
संता बोला - नहीं, चार आदमी काफी हैं।
पकड़ के रखो
एक शराबी ने एक दिन कुछ ज्यादा ही पी ली। लडखड़ाते कदमों से किसी तरह घर के दरवाजे तक पहुंचा और जेब से चाभी निकालकर ताला खोलने की कोशिश करने लगा।
नशा ज्यादा होने की वजह से वह चाभी को ताले में डाल ही नहीं पा रहा था। चाभी कभी इधर हो जाती कभी उधर । उसे परेशान होते देख पास ही खड़े एक व्यक्ति ने उसकी मदद करनी चाही ।
पास आकर बोला - लाओ चाभी, ताला मैं खोल देता हूं।
शराबी बोला - नहीं, नहीं, ताला तो मैं खोल लूंगा। तुम तो बस जरा दरवाजे को पकड़ के रखो।
एक शराबी ने एक दिन कुछ ज्यादा ही पी ली। लडखड़ाते कदमों से किसी तरह घर के दरवाजे तक पहुंचा और जेब से चाभी निकालकर ताला खोलने की कोशिश करने लगा।
नशा ज्यादा होने की वजह से वह चाभी को ताले में डाल ही नहीं पा रहा था। चाभी कभी इधर हो जाती कभी उधर । उसे परेशान होते देख पास ही खड़े एक व्यक्ति ने उसकी मदद करनी चाही ।
पास आकर बोला - लाओ चाभी, ताला मैं खोल देता हूं।
शराबी बोला - नहीं, नहीं, ताला तो मैं खोल लूंगा। तुम तो बस जरा दरवाजे को पकड़ के रखो।
कमीज के अन्दर
एक शराबी और उसकी बीबी रात को सो रहे थे। आधी रात को अचानक पति की चीख सुनकर पत्नी की आंख खुल गई। उसने पति से पूछा - क्या बात है ?
पति बोला - कुछ नहीं, मेरी कमीज नीचे गिर गई थी।
खीझ कर पत्नी बोली - तो इतनी जोर से क्यों चीखे ?
पति बोला - उस कमीज के अन्दर मैं भी था ।
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